सुब्रमण्यम स्वामी ने इसे बताया देश विरोधी कदम, कहा कोर्ट जाऊंगा
करीब अस्सी करोड़ रुपये की कर्जदार एयर इंडिया की शतप्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का प्लान सोमवार को सरकार ने पेश कर दिया। इसके मुताबिक एअर इंडिया एक्सप्रेस की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी। तमाम विरोध के बावजूद सरकार एअर इंडिया को बेचने के लिये प्रतिबद्ध है। सरकार ने सोमवार को इस बारे में प्रारंभिक जानकारी वाला मेमोरंडम भी जारी कर दिया। यह बात दीगर है कि भाजपा के ही सांसद सुब्रहम्णयम स्वामी ने इसका विरोध करते हुए इसे देश विरोधी करार दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि ऐसा होता है तो उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिये बाध्य होना पड़ेगा।
केंद्र सरकार द्वारा मेमोरेंडम जारी करने के बाद फिलहाल एयर इंडिया की खरीद के लिये बोली लगाने वालों में ब्रिटेन का हिंदुजा समूह भी सामने आ रहा है। 17 मार्च तक बोली लगाई जा सकेगी। बोली जीतने वाले को मैनेजमेंट कंट्रोल भी मिलेगा। इसके अलावा एअर इंडिया और SATS की जॉइंट वेंचर कंपनी AISATS में एअर इंडिया की 50 फीसदी हिस्सेदारी भी बेची जाएगी। सरकार ने एअर इंडिया के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (EoI) यानी अभिरुचि दिखाने के लिए 17 मार्च तक की डेडलाइन जारी की है। फिलहाल जिन समूह की रूचि एयर इंडिया में नजर आ रही है उनमें टाटा समूह, हिंदुजा, इंडिगो, स्पाइसजेट और कई निजी कंपनियां शामिल हैं। नीलामी में शामिल होने के लिए कई विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनियों से साझेदारी भी कर सकती हैं।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ भाजपा के ही सांसद सुब्रमण्यम स्वामी खड़े हो गये हैं। उन्होंने ट्ववीट किया है कि यह सौदा पूरी तरह से देश विरोधी है। हम परिवार की बेशकीमती चीजों को बेच नहीं सकते। इसके लिये यदि उन्हें मजबूर होना पड़ा तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। सुब्रमण्यम के इस रूख को केंद्र सरकार के लिये परेशानी के सबब के रूप में भी देखा जा रहा है।
एयर इंडिया की बिक्री के लिए जरूरी प्रावधानों को सुनिश्चत करने के बाद सरकार इससे पूरी तरह से अलग हो जाएगी। इसी क्रम में गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में मंत्रियों के समूह को एयर इंडिया का कर्ज चुका दिए जाने लायक रिजर्व प्राइज तय करना है। मंत्रियों के इस समूह में अमित शाह के अलावा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कॉमर्स और रेल मंत्री पीयूष गोयल और नागरिक विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं। बता दें कि इससे पहले मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी एयर इंडिया को बेचने का प्रयास किया था। लेकिन तब सरकार अपने प्रयास में सफल नहीं हो सकी थी। उस समय कच्चे तेल की कीमतें काफी ऊपर थीं और डॉलर के मुकाबले कमजोर रुपये के चलते निवेशकों ने इसे खरीदने को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाया था। उस दौरान एक भी निवेशक आगे नहीं आया था लेकिन अब हालात बदलते नजर आ रहे हैं।