इंडिपेंडंट टीवी ने लगाया चार अरब पच्चीस करोड़ रुपये का चूना


मेरठः  इंडिपेंडंट टीवी बंद हो गया। साथ ही सिग्नल से आजाद हो गये वो सैट आफ बाक्स जिन्हें लगाते हुए कंपनी ने दावा किया था कि एक साल तक पांच सौ चैनल फ्री दिखाये जायेंगे। ढाई हजार रुपये प्रति ग्राहक वसूले गये और फिर रातों रात टीवी से चैनल व आफिस से निदेशक गायब हो गये। ढाई हजार रुपये करीब सत्रह लाख लोगों से देश भर में प्रति ग्राहक वसूला गया। बाइक बोट व इंडिपेंडेंट टीवी की कमाई से रातों रात अरबपति बने निदेशकों ने जब शिकंजा कसता पाया तो भूमिगत हो गये।


चार अरब का चूना लगा निदेशक हवा हवाई


संपूर्ण मायाजाल इतना बारीकी से बुना गया था कि ग्राहकों के पास फंसने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं था। बाइक बोट में चार हजार करोड़ व इंडिपेंडेंट टीवी के जरिये सवा चार सौ करोड़ यानी चार अरब पच्चीस करोड़ रुपये का आमजन को चूना लगाकर निदेशक हवा हो चुके हैं। अफवाह फैलाई जा रही है कि इंडिपेंडेंट टीवी का मालिक भी महाघोटालेबाज संजय भाटी ही था जबकि हकीकत कुछ और भी है। इंडिपेंडेंट टीवी का निदेशक विजेंद्र सिंह, पत्नी पिंकी सिंह भी सवा चार सौ करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले में शामिल बताये जा रहे हैं। बाइक बोट व इंडिपेंडेंट टीवी के जांच के दायरे में आने के बाद अपनी संपत्ति बचाने के लिये संजय भाटी के साथ ही विजेंद्र सिंह ने भी तानाबाना बुनना तेज कर दिया है। 



सपा से अलग हुए एक नेता का पैसा चैनल में लगने की चर्चा 

 


बााइक बोट का चार हजार करोड़ से ज्यादा का घोटाला जनता के सामने आ चुका है। इस घोटाले में महाघोटालेबाज संजय भाटी ने मोटा लालच देकर निवेशकों से अपनी कंपनी ग्रवित इनोवेटिव प्रमोटर्स पा. लि. में बाइक बोट के नाम से बाइक लगवाई। वायदा किया था कि एक साल ही में रकम दोगुना हो जायेगी। अब जब घोटाले की परतें खुली तो संजय व उसके गुर्गों के खिलाफ 40 से ज्यादा मुकदमें पुलिस में  निवेशकों द्वारा दर्ज कराये गये । इतनी बड़ी संख्या में मुकदमें दर्ज होने के बावजूद उत्तर प्रदेश की जांबाज पुलिस कान में तेल डाले बैठी रही। जब संजय को लगा कि जिन लोगों की गाढ़ी कमाई उसने व उसके गिरोह ने लूटी है वे उसे मार डालेंगे तो उसने इस डर से अदालत में समर्पण कर दिया। पुलिस उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। परेशान पीड़ितों को यह सुन कर राहत पहुंच सकती है कि बताया जा रहा है कि जेल व रिमांड के दौरान पुलिस ने संजय भाटी की खासी मेहमाननवाजी की है। संजय जेल में हैं लेकिन निवेशकों का पैसा कब और कैसे वापस होगा इसका सवाल निवेशकों को परेशानी में डाले हुए हैं। 

बाइक बोट का पैसा भी लगा है पैटल में 

अब बात करते हैं इंडिपेंडेंट टीवी की। इंडिपेडंट टीवी शुरुआती दिनों में रिलाइंस  बिग टीवी के नाम से जाना जाता था। इसे अनिल धीरूभाई अंबानी की कंपनी आरकाम संचालित कर रही थी। 2008 में शुरू हुआ रिलाइंस बिग टीवी 2017 के अंत तक  चला। फिर आर्थिक संकट के चलते आरकाम को इसे बेचना पड़ा। 29 नवंबर 2017 के आसपास आरकाम ने अपनी डूबती नैया को बचाने व निवेशकों में अपना विश्वास बनाये रखने के लिये इसे बेच दिया। इसे खरीदा पेटल टैक्नालाजिज्स प्रा.लि व वीकान मीडिया टेलीविजन प्रा. लि ने। यह कितनी धनराशि में बेचा अथवा खरीदा गया इसे गोपनीय बनाये रखा गया। हालांकि चर्चा है कि इसे 180 करोड़ रुपये में खरीदा गया था। पैटल टैक्नालाजिज्ज के निदेशक विजेंद्र सिंह व पत्नी प्रीति सिंह हैं। मार्च 2018 में प्री बुकिंग के नाम पर प्रति ग्राहक ढाई हजार रुपये वसूले गये।  यह वसूली देशभर के उपभोक्ताओं से हुई। सूत्र बताते हैं कि करीब 17 लाख लोगों ने  इस धनराशि का भुगतान किया। यानी चार अरब पच्चीस करोड़ रुपया।  इससे पैटल व वीकान के पास रोजाना सात आठ करोड़ रुपया आ रहा था बावजूद इसके भुगतान न होने पर स्टार इंडिया ग्रुप से जो समझौता कंपनी का हुआ था व 23 जुलाई 2018 को टूट गया। समझा जा सकता है कि विजेंद्र एंड टीम का इरादा इसे चलाने का नहीं ब्लकि कुछ और था जो चार अरब पच्चीस करोड़ रुपये डकारने के रूप में सामने आ रहा है। 

संजय भाटी का करीबी याराना है बिजेंद्र सिंह से 

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि संजय भाटी व  विजेंद्र सिंह में पुराना याराना रहा है और दोनों की ही फितरत कमोवेश मिलती जुलती है। जिस वक्त बाइट बोट के खिलाफ मुकदमें लिखाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी उसके कामकाम में विजेद्र सिंह भी कूद चुका था। मेरठ के आनंद होस्पिटल को खरीदने के लिये भी बतौर बयाना पांच करोड़ रुपये विजेंद्र सिंह ने ही दिये थे। इसके अलावा पता चलता है कि मवाना स्थित एसवीएस कालेज की खरीद फरोख्त में भी  बाइक बोट का पैसा इस्तेमाल हुआ है। एसवीएस कालेज का विजेंद्र सिंह से करीब साढ़े सौलह करोड़ रुपये में सौदा हुआ था। एसवीएस कालेज पर पीएनबी का पचास लाख रुपये का कर्जा था जिसे बिजेंद्र ने चुकाया था। बाकी पैसे को लेकर काफी दिनों तक राड़ चलती रही लेकिन जैसे ही बाइक बोट का पैसा आया एक बार में ही पूरा भुगतान एसवीएस के मालिकों को कर दिया गया। इंडिपेंडेंट टीवी के अंतिम दिनों में पैटल के प्रोडेक्ट पर पावर बाई जीपीएल लिखा आने लगा था। यानी पैटल के इंडिपेंडेंट में भी भाटी का पैसा लग चुका था। बिजेंद्र सिंह का फोन भी लगातार बंद आ रहा है, वह नंबर बदल बदल कर अपने करीबियों से बात कर रहा है। 

अब जबकि संजय भाटी जेल की सलाखों के पीछे हैं। एसआईटी जांच चल रही है और ईडी जांच की तैयारी में है तो बाकी इन घोटालों से जुड़े महाघोटालेबाजों में भी हड़कंप और बैचेनी के हालात हैं। जिन प्रापर्टी में बाइक बोट व इंडिपेंडेंट टीवी का पैसा खपाया गया है उन संपत्ति को ईडी से बचाने की जुगत लगाई जा रही है। कहीं ट्रस्ट बदले जा रहे हैं तो कहीं ट्रस्टी।