सभी 144 याचिकाओं पर जवाब को केंद्र को दिया 4 हफ्ते का समय
मामले को संवैधानिक पीठ के हवाले करने पर फैसला भी अगली सुनवाई में
नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध व समर्थन में घमासान जारी है। गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि चाहे जितना विरोध हो, सीएए वापस होने वाला नहीं हैं। उन्होंने इस पर बहस करने के लिये विपक्ष को खुली चुनौती भी दे दी और साथ ही बता दिया कि हर बात का जवाब देने के लिये भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव तैयार हैं। वहीं भाजपा देश भर में सीएए के पक्ष में माहौल बनाने के लिये रैलियां कर रही है। इसी क्रम में मेरठ में आज केद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिह ने विशाल रैली को संबोधित किया। इस बीच, नागरिकता कानून पर दायर 144 याचिकाओं पर सुनवाी करते हुए कोई भी अंतरिम आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है। कोर्ट ने सरकार की ओर से जवाब देने के लिये मांगे जाने पर छह सप्ताह का समय भी दे दिया है। एक बड़ी बात यह भी है कि अब इश मामले पर देश के किसी भी होईकोर्ट में सुनवाई नहीं होगी।
चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने आज 144 याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कुछ याचिकाओं को बड़ी बेंच के पास भेज सकते हैं. इस पर एटॉर्नी जनरल ने कहा कि 144 याचिकाएं हैं. हमें अभी तक 60 ही मिली हैं. हम उन्हीं पर जवाब दे पाए हैं. जब बाकी मिलेंगी तो जवाब देंगे। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा- आज आप यह तय कर दीजिए कि मामला संविधान पीठ में जाए या नहीं. हम रोक नहीं मांग रहे लेकिन नागरिकता देकर उसे वापस नहीं ले सकते. इसलिए कुछ आदेश होना चाहिए. इसके साथ ही सिंघवी ने कहा कि यूपी में 40 हज़ार की पहचान हुई है. सिब्बल ने इस पहलू पर खास तौर पर सुनवाई की तारीख तय करने की मांग की। एक याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि लोगों की नागरिकता सरकारी बाबुओं के भरोसे छोड़ दी जाएगी. एटॉर्नी जनरल ने इसका विरोध किया. इसके बाद उन्होंने कुछ वकीलों ने असम से जुड़े मामलों को अलग से सुनने की मांग की. CJI ने उन याचिकाओं का ब्यौरा देने को कहा. चीफ जस्टिस ने CJI ने AG से पूछा- आप असम मामले पर कब जवाब देंगे? एटॉर्नी जनरल ने कहा दो हफ्ते में जवाब दे देंगे। कपिल सिब्बल ने कहा कि यूपी में लोगों के नाम के आगे टिक और क्रॉस लगाया जा रहा है, इससे भय का माहौल है. यह सब 2 महीने के लिए रोक देने से क्या नुकसान हो जाएगा. सिब्बल ने यह भी कहा कि अभी कानून के नियम तय नहीं हैं लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यवाही शुरू कर दी है? सुनवाई में सभी पक्षकी दलील सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सरकार को 6 नहीं, 4 हफ्ते देंगे, अभी कोई आदेश नहीं देंगे. सीजेआई ने कहा कि सभी याचिकाओं पर सरकार चार हफ्ते में जवाब दे. मामले की सुनवाई की प्रक्रिया तय करने के लिए जज वरिष्ठ वकीलों के साथ बैठक करेंगे. असम पर अलग से सुनवाई नहीं होगी.। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला ने कहा- हम इसलिए रोक लगाने की मांग कर रहे थे कि यूपी में सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है. अगर किसी को नागरिकता दे दी गई तो फिर उससे वापस नहीं ली जा सकती. मुझे इस बात से कोई आपत्ति नहीं कि यह बेंच फैसला दे या संविधान पीठ फैसला दे, लेकिन इस कानून के अमल में आने से पहले इसके नियम कायदे जरूर बन जाने चाहिए।