मनुष्यों द्वारा लगातार प्रकृति से की जा रही छेड़छाड़ या उसके अनावश्यक दोहन के कारण ही अब प्रकृति का कोरोना के रूप में वह अलार्म है जिसमें वह कह रही है कि बस बहुत हुआ, अब बाज आ जाओ। चीन की जानवरों, कीट पंतगो व पशु पक्षियों की पेट भरो नीति कहीं न कहीं आज न सिर्फ चीन पर बल्कि दुनिया भर पर आफत बनकर टूट रही है। बुहान.एक ऐसा शहर जिसका भ्रमण सभ्य समाज के मुल्कवासी कभी नहीं करना चाहेंगे। बताया जा रहा है कोरोना का पहला संक्रमित मरीज यहीं पाया गया था। सूचनाओं को दबाने की चीन की फितरत के चलते ही आज दुनिया पर एक संकट छाया हुआ है। वुहान के मेडिकल कालेज में दिसम्बर के अंत में चिकित्सकों के एक दल ने सात मरीजों को रहस्यमयी बीमारी से ग्रस्त पाया था। उनका इलाज कर रहे डा.ली वेनलियांग ने अपने साथी चिकित्सकों को तुरंत ही सतर्क करते हुए इन मरीजो को इमरजेंसी विभाग के आइसोलेशन वार्ड में रखने को कहा था। 30 दिसम्बर को आनलाइन चैट में डा. ली ने इसका उल्लेख किया। इस चैट में शामिल एक चिकित्सक ने इसे अत्याधिक भयावह बताते हुए जानना चाहा था कि क्या 2002 के एसएआरएएस नामक बीमारी की वापसी हो रही है। इस बीमारी से उस वक्त करीब आठ सौ लोगों की मौत हो गयी थी। सूचनाओं को दबाने की फितरत की चलते ही पुलिस ने डा. ली से यह जबरन लिखवा लिया कि उनकी चेतावनी गैरकानूनी व्यवहार के दायरे में आती है और यह बीमारी एसएआरएस नहीं हैं, ब्लकि उसी से मिलता जुलता कोरोना वायरस है। अब यही कोरोना वायरस दुनिया के करीब पच्चीस मुल्कों में मौत बांटता हवा में जहर घोल रहा है।
इस वजह से कोरोना फैला दुनिया के 25 मुल्कों में
बताया जा रहा है कि कोरोना का पहला स्रोत्र बुहान का वह मीट मार्केट हैं जहां सब कुछ मिलता है, सब कुछ मीन्स सब कुछ, ऐसा भी जिसे खाने के बारे में आप सोचे भी ना। यहां 112 किस्म के जानवर। इंसान को कुदरत ने बहुत कुछ दिया लेकिन यहां वह भी मिलता है जो शायद इंसान के लिये नहीं बना है, भगवान या यह कहें कि प्रकृति ने इंसान को दिमाग दिया शायद इसलिये कि उस पर ही धरा पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं का ख्याल रखने का दायित्व था लेकिन इंसान ने यह नहीं किया। केवल दो प्रतिशत लोगों ने इस दायित्व का निर्वाहन किया जबकि 98 प्रतिशत ने प्रकृति का दोहन ही किया। कितनी विडंबना है कि जिन जानवरों, कीट पंतगों को इंसान विशेषत चीन में वहशी तरीके से मार कर खाया गया उनमें पनपे वायरस अब उनके मीट के जरिये इंसानों में भी घर करने लगे हैं। यहीं कोरोना के रूप में प्रकृति का बदला ही है। आइये देखते हैं वुहान शहर, यहां मुर्गा, भैस बकरा ही नहीं बल्कि 112 किस्म के जीवित या फिर मारे हुए जानवर मिलते हैं। इनमें दुलर्भ जीव जन्तु भी शामिल हैं। इन 112 जीव जंतुओं में मुख्यत- सूअर, गाय भैंस, शाही भेडिया, ईल, सांप, बिच्छू, कंगारू, गधे, लोमड़ी, शतुर्मग, कछुआ, बत्तखका सिर, बंदर, उंट, चूहे, मेढक, कछुआ आदि शामिल हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे भी जीव हैं जिन्हें आप खाना नहीं चाहेंगे। इनमें चमगादड़, जिंदा झींगा, बंदर का कच्चा ब्रेन, चूहें के बच्चे, बतख का जिंदा भ्रूण आदि शामिल हैं। चीन में इन दिनों गधों की कमी हो गयी है लिहाजा हिंदुस्तान से भेजने की बात आई थी। इस जानवर को बेहद निर्दयता से मारा जाता है। इसके हाथ पांव बांध का इसका बाडी पार्ट काट दिया जाता है, इसे कच्चा ही मेहमानों के सामने परोसा जाता है। बंदर का कच्चा ब्रेन व गधे का बाडी पार्ट खाना अथवा खिलाना रहीसे के चुंचलों में शुमार है। जिंदा कूतों को बर्नर से जला कर बेचा जाता है। यह इलाका जानवरों के चीत्कार से गूंजता रहता है। कोरोना वायरस की मार के कारण इस बाजार में फिलहाल सन्नाटा पसरा हुआ है लेकिन सोचकर बताइये कि क्या ये सब खाने की वस्तुएं हैं। आशंका जताई जा रही है कि चमगादड़ जैसी जीवों के शरीर में पनपने वाले जीवाणु ही आज मानव शरीर में पहुंच कर देश के पच्चीस से ज्यादा मुल्कों की जान परेशानी में डाले हुए हैं। यह यह प्रकृति का इंसान से बदला नहीं हैं। अगर इसी तरह प्रकृति को नष्ट किया जाता रहा तो आने वाला समय कितना भयवह होगा इसकी सिर्फ कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जाहिर है हमें प्रकृति के साथ साथ उन जीवों का भी सम्मान करते हुए उन्हें जीने देना होगा जिन्हें इस पृथ्वी पर भेजा गया है। इस खबर में बस इतना ही, दुआ कीजिये कि इंसान अपनी फितरत से बाज आये और इस धरा पर वे सभी सम्मानजनक अपना जीवन जी सके जिसे प्रकृति अथवा भगवान ने जमीं पर भेजा है।